Unveiled: Shocking Facts About The Indian Beauty Industry (2023-24 Report)
indian beauty industry

“Why are Indian makeup artists and salons behind those of other countries?” Annual Report 23-24

The report’s findings are likely to have a major impact on the Indian Beauty industry’s future,

भारत के मेकअप आर्टिस्ट, सैलून दूसरे देशों से पीछे क्यों?

चोकाने वाले तथ्य आए सामने!

भारत के बिऊटी सैलूनस की वेलफेयर स्कीमों व रिसर्च व डिवेलपमेंट पर काम करने वाली संस्था सोवा इंटरनेशनल ने अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की है,
रिपोर्ट की स्टडी में पाया गया है कि बड़ी संख्या में भारतीय मेकअप आर्टिस्ट, सैलून कम्युनिटी व कम्यूनिटी ग्रुपस से दूरी बना कर रहते हैं,वह अपने आपको अपडेट रखने,बिऊटी कम्यूनिटी की मीटिंग में हिस्सा मात्र तक से भी दूरी बनाए हुए हैं,

यह एक अलग थलग दुनिया में रहने जैसा है,

संस्था ने सर्वे में भारतीय मेकअप आर्टिस्टो के कमेंट, लाईक, शेयर,वोटिंग और ट्रेनिंग की दर को शामिल किया है, जिसमें चोकाने वाले तथ्य सामने आए हैं,और यह तथ्य भारतीय सलुन इंडस्ट्री के लिए ख़तरे की घंटी की और इशारा करते हैं,

संस्था के एक साल के सर्वे में यह तथ्य सामने आए हैं कि भारत के बढ़ी तादाद में सलुन विश्व की बिऊटी इंडस्ट्री के कंपीटिशन में पिछड़ रहें हैं,

संस्था ने एक साल में भारतीय सलुनस को फ्री ट्रेनिंग प्रोग्राम्स, फ्री प्रमोशन, फ्री ग्राफिक्स डिजाइन्स व संस्था की वेबसाइट पर फ्री सलून पोस्टिंग दी ताकि भारतीय सलुनस के बिजनेस में बढ़ोतरी हो, संस्था ने पिछले एक साल में किसी भी सलून से कम्यूनिटी फंड भी नहीं लिए ताकि उन्हें स्टडी में शामिल किया जा सके,

जो तथ्य हम आपके सामने पेश करेंगे उन्हें पढ़ कर आप चोंक जाएंगे,
आइए शुरू करते हैं,

भारतीय मेकअप आर्टिस्टो व सलून इंडस्ट्री के 80 प्रतिशत लोगों ने संस्था को सहयोग नहीं किया है,

यहां तक कि उन्होंने संस्था की वेलफेयर स्कीमों की वोटिंग करने से भी दूरी बनाई रखी है,

अगर संस्था की कम्यूनिटी मीटिंग की बात करें तो भारतीय मेकअप आर्टिस्टो व सलून ओनर्स को बिऊटी कम्यूनिटी की मीटिंग में कोई रूचि नहीं है,

मात्र 100 में से 5 लोग ही संस्था की मीटिंग में हिस्सा लिये है जबकि यह फ्री व किसी भी बिजनेस को बढ़ाने के लिए अनिवार्य होता है,

संस्था का अनुमान है कि भारतीय मेकअप आर्टिस्ट व सलून ओनर्स अभी बहुत पीछे होने की वजह से अपने कमजोरियों को छुपा रहे हैं, इसलिए वह किसी भी कम्यूनिटी वटसऐप ग्रुप, कम्यूनिटी शोशल सकिउरटी, कम्यूनिटी शोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से दूरी बनाए हुए हैं, बड़े सैलून व्यवसाय छोटे सैलून व्यवसाय से बिजनेस लेने की बजाए,वह छोटे सैलून व्यवसाय से निरंतर दूरी बनाए हुए हैं,

उनके आत्मविश्वास मे इतनी कमी आ गई है कि वह किसी को भी कमेंट करने,,लाईक करने, शेयर करने व फालो करने से भी डर रहे हैं,
इसकी वजह संस्था को मेकअप आर्टिस्टो व सलून ओनर्स का कम नालेज (जानकारी) का होना भी हो सकता है,

लेकिन संस्था के सर्वे में कुछ अच्छे आंकड़े भी सामने आए हैं, संस्था ने पाया है कि भारत के छोटे छोटे गांव व कस्बों में सलून चलाने वाली महिलाओं में सीखने की जिज्ञासा है,

उन्होंने ने संस्था के ट्रेनिंग प्रोग्राम्स में रूचि दिखाई है व मीटिंग अटेंड की है , उन्होंने समय-समय पर संस्था द्वारा करवाईं गई वोटिंग में हिस्सा लिया है और अपने ओपीनियन (विचार) दिये है,
चिंता की बात यह है कि इन एक्टिव भारतीय मेकअप आर्टिस्टो व सलून ओनर्स की गिनती कम है, संस्था ने चिंता जताई है कि अगर भविष्य में इन अलग थलग पड़े मेकअप आर्टिस्टो व सलून ओनर्स को अगर जागरूक नहीं किया गया तो भारत की आने वाली पीढ़ी सलून से अपना रोजगार चलाने से कोसों दूर होगी, भारत सरकार को भी चाहिए कि वह इन मेकअप आर्टिस्टो व सलून ओनर्स के लिए वेलफेयर स्कीमें चलाएं, ताकि भारतीय मेकअप इंडस्ट्री में सभी का अच्छा बिजनेस हो,

सोवा बिऊटी न्यूज,

भारत,

निष्कर्ष:

  • अलगाव भारतीय मेकअप कलाकारों और सैलून को पीछे खींच रहा है।
  • जागरूकता और सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • सरकारी सहायता उद्योग को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

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Sowa International organization Website

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